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Sindhu Tai Sapkal- THE MAHARASHTRIYAN AAI



SindhuTai Sapkal  








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आप एक ऐसी माँ का परिचय करा रहे हैं, जो अपने आंचल में एक या दो नहीं, बल्कि हजारों बच्चों को पाती है। उनकी 36 बेटियां और 272 दामाद हैं। ऐसा ही सपकाल का परिवार है जो महाराष्ट्र की टेरेसा बन गई हैं।

सिंधुताई सपकाल की जिन्दगी एक ऐसे बच्चे के तौर पर शुरू हुई थी, जिसकी किसी को जरूरत नहीं थी. उसके बाद शादी हुई, पति मिला वो गालियां देने और मारने वाला. जब वो नौ महीने की गर्भवती थीं तो उसने उन्हें छोड़ दिया. जिस परिस्थ‍िति में वो थीं कोई भी हिम्मत हार जाता लेकिन सिंधुताई हर मुसीबत के साथ और मजबूत होती गईं. आज वो 1400 बच्चों की मां हैं.

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वो बच्चे जिनके खाने-पीने की चिंता करने वाला कोई नहीं था. सिंधुताई ने इन बच्चों को उस वक्त अपनाया जब वो खुद अपने लिए आसरा जुटाने के लिए प्रयास कर रही थीं.

सिंधुताई एक नाम से कहीं ज्यादा हैं. 68 साल की इस औरत के भीतर सैकड़ों कहानियां छिपी हुई हैं. सिंधुताई की फुर्ती को देखकर शायद ही आप अंदाजा लगा पाएं कि वो बुजुर्ग हो चुकी हैं. लोग उन्हें प्यार से 'अनाथों की मां' कहते हैं. 

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एक हंसता-‍खिलखिलाता चेहरा पुरानी बातों को याद करने के साथ ही बुझ जाता है. पर उनकी बातें किसी के लिए भी प्रेरणा बन सकती हैं. वो कहती हैं कि मैं उन सबके लिए हूं जिनका कोई नहीं है. वो अपने अब तक के सफर के बारे में बताते हुए सबसे पहले यही कहती हैं कि वो एक ऐसी संतान थीं जिसकी किसी को जरूरत नहीं थी. उनका नाम भी चिंधी था, जिसका मतलब होता है किसी कपड़े का फटा हुआ टुकड़ा.

हालांकि उनके पिता ने उनका पूरा साथ दिया और वो उन्हें पढ़ाने के लिए भी आतुर थे पर चौथी कक्षा के बाद वो अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकीं. उन पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई और बाद में कच्ची उम्र में ही शादी कर दी गई.

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10 साल की उम्र में वो 30 साल के आदमी की घरवाली थीं. उनके पति ने उन्हें दुख देने में कोई कसर नहीं छोड़ी और हालात इतने बुरे हो गए कि उन्हें गौशाला में अपनी बच्ची को जन्म देना पड़ा. वो बताती हैं कि उन्होंने अपने हाथ से अपनी नाल काटी.

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इन सब बातों ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया. उन्होंने आत्महत्या करने की भी बात सोची लेकिन बाद में अपनी बेटी के साथ रेलवे-प्लेटफॉर्म पर भीख मांगकर गुजर-बसर करने लगीं. भीख मांगने के दौरान वो ऐसे कई बच्चों के संपर्क में आईं जिनका कोई नहीं था. उन बच्चों में उन्हें अपना दुख नजर आया और उन्होंने उन सभी को गोद ले लिया. उन्होंने अपने साथ-साथ इन बच्चों के लिए भी भीख मांगना शुरू कर दिया. इसके बाद तो सिलसिला चल निकला. जो भी बच्चा उन्हें अनाथ मिलता वो उसे अपना लेतीं.


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अब तक वो 1400 से अधिक बच्चों को अपना चुकी हैं. वो उन्हें पढ़ाती है, उनकी शादी कराती हैं और जिन्दगी को नए सिरे से शुरू करने में मदद करती हैं. ये सभी बच्चे उन्हें माई कहकर बुलाते हैं. बच्चों में भेदभाव न हो जाए इसलिए उन्होंने अपनी बेटी किसी और को दे दी. आज उनकी बेटी बड़ी हो चुकी है और वो भी एक अनाथालय चलाती है.कुछ वक्त बाद उनका पति उनके पास लौट आया और उन्होंने उसे माफ करते हुए अपने सबसे बड़े बेटे के तौर पर स्वीकार भी कर लिया.

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सिंधुताई का परिवार बहुत बड़ा है. उनके 207 जमाई है, 36 बहुएं हैं और 1000 से अधिक पोते-पोतियां हैं. आज भी वो अपने काम को बिना रुके करती जा रही हैं. वो किसी से मदद नहीं लेती हैं बल्कि खुद स्पीच देकर पैसे जमा करने की कोशिश करती हैं. 

उनके इस काम के लिए उन्हें 500 से अधिक सम्मानों से नवाजा जा चुका है. उनके नाम पर 6 संस्थाएं चलती हैं जो अनाथ बच्चों की मदद करती हैं.




आत्महत्या का प्रयास


 चिन्दी अपने मायके चली गई । जहां मां ने कहा " लड़की एक बार ससुराल जाती है तो फिर चार कंधों पर ही वहां से निकलती है। तूने अपना ससुराल छोड़ा है। हमारे घर में भी तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं है।" चिंदी को लगा जैसे सब खत्म। जीवन का कोई मतलब नहीं । वह रेलवे पटरी पर आई और बैठकर रेल का इंतजार करने लगी। कुछ समय बाद रेल आने वाली थी तो पटरी में वाइब्रेशन हो रहा था सहसा चिन्दी की नजर अपनी बच्ची पर पड़ी। मन में आया 'इसका क्या कसूर है ?अभी मरना कैंसिल। जो होगा देख लेंगे।'

        वह रेलवे स्टेशन पहुंची देखा । कुछ भिखारी बैठकर गाना गा रहे हैं तो उन्हें खाना मिलता है। भूख लगी थी तो चिंदी भी वहीं बैठ कर भजन गाने लगी। उसे जो भी खाने को मिलता भिखारियों के साथ बांट लेती। दिन इसी तरह गुजरने लगे। लेकिन रात में डर लगता कि कोई उसकी असहाय युवावस्था को दूषित ना कर दे? चिंदी ने सुना था शमशान में रात में कोई नहीं जाता। बस उसने अपना ठिकाना ढूंढ लिया। अब वह स्टेशन पर बैठकर गाना गाने के साथ ही ट्रेन में घूम घूम कर भी गाने लगी। कई बार टीसी गाड़ी से भगा देता तो दूसरी गाड़ी में चढ़ जाती। भजन से भोजन मिलता और शमशान से सुरक्षा।

सिन्धु ताई लोगों के सामने झोली फैला कर अनुरोध करती हैं "मै अनाथ बच्चों की मां बनी आप रिश्तेदार बनिए और अपनी कमाई से कुछ हिस्सा इन बच्चों के लिए दान दीजिए।" इसी तरह से यह संस्था चल रही है। हालांकि फ़िल्म बनने के बाद सिंधु सपकाल को लोग जानने लगे हैं। अब लोग उनकी पहले से ज्यादा मदद करते हैं।

      चलिए दोस्तों देखते हैं साहस,ताकत,जज्बा, जिजीविषा की इस मिसाल माई से हम क्या सीख सकते हैं?

  1-   चिंदी ने जिस तरह गाय से वादा किया और आगे बढ़ी ।उससे हम सीख सकते हैं कि जीवन में जो भी परिस्थिति हो उसका सामना करो । जो मदद करें उसके आभारी रहो और जीवन खुद-ब-खुद महान हो जाएगा।

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2-   बुखार में तपते प्यासे भिखारी की मदद करके आत्महत्या का विचार खुद ही खत्म हो गया। ठीक उसी तरह जब लगे जीवन से हार चुके हैं तब किसी की मदद करना खुद का सबसे बड़ा सहारा बन जाता है।और किसी का सहारा बनना जीवन में नई कलियां खिला देता है नई ऊर्जा भर देता है।
     
 3-  अमेरिका में भाषण से पहले माई ने कैसे अपने डर को काबू में किया?  इससे हम सीख सकते हैं कि जब कभी भय आशंका से सामना हो तो अपने कदम निरंतर आगे बढ़ाओ कुछ ही पल में देखोगे नया सवेरा, सफलता का सवेरा पलकें बिछाए बैठा है।
     
4-  सिन्धु ताई ने जान से मारने की कोशिश करने वाले पति को भी क्षमा किया और वृद्धावस्था मे सहारा दिया। दूसरो को माफ़ करने से अपने दिल का ईबोझ  कम होता है। हमारे साथ किसी ने कितना भी गलत क्यों न किया ?लेकिन अगर उसे अपनी गलती का एहसास हो तो सहर्ष माफ कर देना चाहिए।
     
5 - सिन्धु सपकाल कहती हैं "जीवन में अँधेरा छाने लगे तो किसी के पास उजाला माँगने मत जाओ..अपने उजाले का खुद निर्माण करो...इतना उजाला बनाओ कि दुनिया खुद ब खुद तुम्हे ढूंढती तुम्हारे पास आ जाए।" मतलब अपनी मदद खुद करो..साहस के साथ आगे बढ़ो...अगर इरादे नेक हुए ...तो आपको सफल होने से कोई नही रोक सकता।

6- सबसे महत्वपूर्ण बात वास्तविक शिक्षा जीवन की पाठशाला से ही मिलती है। परिस्थितियां सबसे बेहतर शिक्षक होतीं हैं। इसलिए कठिन परिस्थितियों में घबराना नहीं चाहिए बल्कि उनकी सकारात्मक पहलू को देखकर उनका स्वागत करना चाहिए।







Sindhutai Sapkal Quotes, हजारों अनाथों की माँ सिंधुताई सपकाल, जन्म 14 नवंबर, 1947, महाराष्ट्र, सिंधुताई सपकाल एक Indian Social Worker है, जिन्हे लोग प्यार से माई कहकर बुलाते है, फुटपाथ पर मिले अनाथ बच्चों को गोद मे लेकर उन्हे पाल पोसकर बढ़ा करनेवाली, और इस समाज मे स्वाभिमान के साथ जीने लायक बनानेवाली माँ, सिंधुताई सपकाल एक महान व्यक्तित्व है। आज पूरा भारत देश ही नहीं बल्कि विदेश मे भी उन्हे उनके इस महान कार्य के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है। आज हम इस पोस्ट मे उनके प्रेरणादायक विचार जान लेंगे।
 


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  • इस दुनिया मे कोई किसीका नहीं होता।

  • छोटे छोटे संकट से मत डरो बस चलते रहो, संकट से दोस्ती करना सिखलों।

  • वक्त हमे हिंमत देता है।

  • अगर खुद के लिए नहीं जीना तो औरों के लिए जीना सीखो।

  • तुम आगे जरूर जाओ पर पीछे भी मुड़कर देखना सिखलों। आज इसकी जरूरत है।

  • हमारे जीवन का सबेरा निश्चित है, बस जीना सीखो।

  • ज़िंदगी मे कभी संकट आए तो उसपर पैर रखकर खड़े हो जाओ, इससे संकट की ऊंचाई कम होती है, और हम श्वास ले सकते है।
  • भूक ही जीवन का सबसे बड़ा Challenge है।

  • कफन जलने दो पर खुद दफन मत हो जाओ।
  •       
  • संकट से ही हमे ऊर्जा मिलती है, संकट ही हमे राह दिखाता है, संकट हमे नई दृष्टि देता है।

  • खुद के दुख का प्रदर्शन मत करो खुद के दुख से कमजोर मत हो जाओ।

  • अगर मैंने दुख से दोस्ती नहीं की होती तो मै यहातक नहीं आ पाती।
  • फटी हुई ज़िंदगी को सिलाना सीखो।
  • अगर झगड़ा करना है तो खूब झगड़ लो, पर कल एक ही थाली मे खाना खालो।

  • प्रेम जरूर करो पर Underground करो।

  • बनी तो प्रीत नहीं तो प्रेत है।

  • दुःख को सिर्फ दुःख पहचान सकता है।

  • हर अनाथ की माई सिंधुताई।

  • ज़िंदगी मे कभी दुःख आया तो आसू मत बहाओ, आसू के हाथ पकड़कर चलना सीखो।

  • मैंने ज़िंदगी मे गाड़ी बदली पर ज़िंदगी नहीं बदली।
  • मुझे ज़िंदगी की हिंमत और रास्ता स्मशान से ही मिला।

  • जो मिला है उसे मिल बाँटकर खाओ।

  • हे भगवान हमे हसना सिखादों, पर हम कब रोये इसका स्मरण हमे रहने दो।

  • ज़िंदगी मे कभी संकट आए तो उसपर पैर रखकर खड़े हो जाओ, इससे संकट की ऊंचाई कम होती है, और हम श्वास ले सकते है।

  • दूसरों का दुख बाँटकर ले लो, खुद का दुख अपने आप भूल जाओगे।

  • इंसान की भूक बुरी होती है, इंसान कभी बुरा नहीं होता।

  • तुम जरूर आगे बढ़ो पर मिट्ठी से रिश्ता मत तोड़ो।


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Sindhu Tai Sapkal- THE MAHARASHTRIYAN AAI Sindhu Tai Sapkal- THE MAHARASHTRIYAN AAI Reviewed by SHIVAM DHURVE on 09:01 Rating: 5

2 comments:


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  2. My Name is Mike Johnson. I am a BBA degree holder in management and an academic blogger. Also an academic writer working at Accounting Assignment Help

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